हमारी प्रोग्राम निदेशक

Director

डॉ. राजश्री विनोद बोथले

डॉ. राजश्री विनोद बोथले ने विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, नागपुर से सिविल इंजीनियरिंग में पीएचडी की उपाधि और रूड़की विश्वविद्यालय (अब आईआईटी, रूड़की) से रिमोट सेंसिंग और फोटोग्रामेट्री में विशेषज्ञता के साथ सिविल इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज, रायपुर (अब एनआईटी, रायपुर) से पूरी की। वह 1987 में आरआरएससी, नागपुर में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में कार्यरत हुईं और विभिन्न क्षेत्रों में सुदूर संवेदन और भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों में काम कर रही हैं। इसके बाद उन्होंने 21 वर्षों तक क्षेत्रीय केंद्र, जोधपुर में काम किया और जल संसाधन अनुप्रयोगों के क्षेत्र में योगदान दिया। केंद्रीय जल आयोग के ११ भारतीय व्यापी परियोजनाओं के माध्यम से उनके योगदान ने India - WRIS परियोजना का मार्ग प्रशस्त किया है। उन्होंने 35 जलाशयों के लिए जलाशय क्षमता का आकलन, मेजर और मीडियम इरीगेशन कमांड और कई अन्य राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय परियोजनाओं के लिए जलभराव और लवणता मानचित्रण किया। डॉ. राजश्री ने नागपुर में SIS-DP परियोजना की गतिविधियों का समन्वय किया और नदी जोड़ो परियोजनाओं पर काम किया।

सरकारी प्रतिनियुक्ति पर, उन्होंने मॉरीशस सरकार आईटीईसी विशेषज्ञ के रूप में सुदूर संवेदन और जीआईएस पर कार्य किया। पूरे मॉरीशस का डेटाबेस बनाने और सॉफ्टवेयर पैकेज "Mauris" के विकास पर उनके कार्य की मॉरीशस सरकार द्वारा बहुत सराहना की गई।

उन्होंने क्षमता (कॉपीराइट), MAURIS, सारांश, परिक्रमा आदि जैसे परियोजना सॉफ्टवेयर विकसित किए हैं और जियोस्मार्ट (कॉपीराइट), WARIS और CAIS सॉफ्टवेयर के विकास का हिस्सा थीं।

भारत के अंटार्कटिका के लिए 35वें वैज्ञानिक अभियान के सदस्य के रूप में, डॉ. राजश्री ने हिममंडल के क्षेत्र में अनुसंधान किया। उन्होंने अंटार्कटिका और हिमालय में हिममंडल के अध्ययन के लिए स्कैटरोमीटर आंकड़ों का उपयोग किया और नाइसेस पोर्टल के लिए भूभौतिकीय उत्पाद तैयार किए। उनके कार्यों से पीअर रिव्यूड जरनलों में अच्छी संख्या में पत्र प्रकाशित हुए।

महाप्रबंधक, जनसम्पर्क प्रतिष्ठापन और फिर समूह निदेशक, टीईओजी के रूप में, उन्होंने प्रतिष्ठापन के विकास कार्यों को दिशा दी। उनके नेतृत्व में जनसम्पर्क प्रतिष्ठापन विकसित की गई है और एनआरएससी के प्रशिक्षण और जनसम्पर्क ने नई ऊंचाइयां देखी हैं। इस प्रतिष्ठापन ने लगातार पांच वर्षों तक राजभाषा कार्यान्वयन पुरस्कार जीता है। उन्होंने विक्रम साराभाई शताब्दी कार्यक्रम, आजादी का अमृत महोत्सव, इसरो साइबर स्पेस प्रतियोगिता, युविका-2022 जैसे प्रमुख जनसम्पर्क कार्यक्रमों का समन्वय किया।

वह इसरो टीम उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित हैं; "वीमेन इन एसटीईएम" (2021) ई-बुक में 51 सफल महिलाओं में से एक और अनेकों प्रस्तुति पुरस्कार एवं सराहना प्राप्त की हैं।

डॉ. राजश्री विनोद बोथले वर्तमान में पृथ्वी एवं जलवायु विज्ञान क्षेत्र की उप निदेशक हैं। नाइसेस परियोजना निदेशक के रूप में उन्होंने नाइसेस कार्यशालाओं का आयोजन किया है, नाइसेस के लिए दशकीय योजना प्रस्तुत की है और ईसीवी और भूभौतिकीय उत्पादों के उत्पादन की निगरानी की है।

उन्होंने 2 तकनीकी पुस्तकें हिंदी में लिखीं, 3 एटलस तथा अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय जरनलों में 26 और 6 पेपर प्रकाशित किये किये, रचनात्मक कला "प्लेट आर्ट" पर 1 पुस्तक और 89 तकनीकी रिपोर्टें लिखी हैं। उन्होंने "इसरो की 75 प्रमुख गतिविधियों" को प्रदर्शित करने वाली कॉफी टेबल बुक के प्रकाशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । वह कई जरनलों की समीक्षक, इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स की फेलो और कई संस्थाओं की आजीवन सदस्य हैं। उन्होंने 100 से अधिक आमंत्रित वार्ताएं दी हैं। उनकी पुस्तक "अंतरिक्ष एक खोज" को दिल्ली बुक फेयर में प्रथम पुरस्कार (इसरो) और द्वितीय पुरस्कार मिला।

पूर्व प्रोग्राम निदेशक

Director

डॉ. एमवीआर शेष साई (2017-2022)

Director

डॉ. पीवीएन राव (2015-2017)

Director

डॉ सीबीएस दत्त (2012-2015)